काजल के घेरे में महफूज़ दो आँखें,
ठिठुरती सर्दी में सुकून देती वो साँसे,

झुककर उठतीं, उठकर झुकतीं पलकें,
उँगलियों से पूछतीं, घर का पता भूल बैठी लटें,

नर्म होटों पर पनाह लिए कुछ अलफ़ाज़,
कानों में मिसरी बन घुलती एक आवाज़,

चेहरे पर रुक रुक कर आती एक मासूम मुस्कान,
गालों पर पड़ते गड्ढे, झूमती बालियों से सजे कान,

केशों में फँसी ओस की बूंदे, 
तेरी बाहों पर झूलने को बेचैन नज़र आती हैं,
पाओं में पड़ी पायलें, 
इक इक कदम पर तेरे होने का एहसास कराती हैं,

बेशक तुझे तराशने में उसको बहुत वक्त लगा होगा.
आज तुझसे ज्यादा उस बनाने वाले पर प्यार आता है.