... तो अच्छा लगता है.
[Translated version here]
जब तुम मुंह बनाती हो,
तो अच्छा लगता है.
जब तुम मुस्कुराती हो,
तो अच्छा लगता है.
जब तुम खुद भूल जाती हो
तो अच्छा लगता है.
और फिर मुझे याद कराती हो
तो अच्छा लगता है.
Courtesy Demi-Brooke |
जब तुम समझ नहीं पाती हो ,
तो अच्छा लगता है.
क्योंकि तुम्हें समझाना भी
तो अच्छा लगता है ।
जब पढ़ने में दिल लगाती हो ,
तो अच्छा लगता है.
और कभी पढ़ते पढ़ते योंही सो जाती हो ,
तो अच्छा लगता है ।
जब जाते हुए रोक लेती हो ,
तो अच्छा लगता है.
और जब खुद जाते रुक जाती हो ,
तो अच्छा लगता है ।
तुम्हारा सॉरी कहना तो नहीं ,
मगर जब तुम सॉरी कहती हो ,
तो अच्छा लगता है ।
जब सोते वक्त तुम्हारा ख्याल आता है
तो अच्छा लगता है.
और जब उठते ही दिल तुम्हारी याद दिलाता है
तो अच्छा लगता है ।
लाल, कला, नीला, बैंगनी,
किसे परवाह.
कुछ भी पहनो, तुम पर सब कुछ ही
तो अच्छा लगता है ।
मेरे सिवा कोई और तुमसे बात करे ,
मुझे पसंद नहीं.
लेकिन तुम जिस किसी से बात करती हो ,
तो, वो भी अच्छा लगता है ।
कई बार कोशिश की पास बैठूं ,
लेकिन हिम्मत ही ना कर पाया.
तो तुम्हें दूर से देख भी लूं ,
तो अच्छा लगता है।
जब एक नजर देख भी लेती हो ,
तो अच्छा लगता है.
और जब उन्ही नज़रों को याद कर दिन भर खिलखिलाता हूँ ,
तो अच्छा लगता है ।
अच्छा तो लगता है,
पर डर भी लगता है.
बेचैनी होती है ,
और दर्द बढ़ जाता है ।
कुछ दिनों में तुम नहीं होगी पास ,
कहीं दूर चली जाओगी .
तुम तो ना रहोगी ,
बस तुम्हारीं यादें रह जायेंगीं.
और जो बातें आज अच्छी लगती हैं ,
कल वही बातें रुलायेंगी ।
~ रबी