Note: This is NOT Poem. This is Life.

जितना चाहे पढ़ लो इसे,

मगर पूछती ऐसे सवाल है, जिनका होता नहीं जवाब है,

बिना इंडेक्स की थकेली किताब है,

ज़िंदगी भी सही मजाक है

जब छोटा था तो बड़े होने की जल्दी थी,

अब बड़ा हूँ, तो बचपन याद आता है,

वो टाइम मशीन बनाने वालोँ का क्या हिसाब है?

ज़िंदगी भी सही मजाक है

जब चीटिंग करो तो पकड़े जाओ,

जब चीटिंग ना करो तो भी पकड़े जाओ,

भैंस की आँख, अपनी तो तो किस्मत ही खराब है,

ज़िंदगी भी सही मजाक है

कुत्ते के तरह पढो, तो नंबर नहीं आते,

खयाली पुलाव पकाने पे रिकॉर्ड टूट जाते हैं,

अपना तो एजुकेशन सिस्टम ही लाजवाब है,

ज़िंदगी भी सही मजाक है

जब भी मैंने किसी चीज़ को बड़ी ही शिद्दत से चाहा,
तो पूरी कायनात मेरी वाट लगाने में लग गयी,
कभी-कभी तो पूरी दुनिया ही लगती खिलाफ है,  
ज़िंदगी भी सही मजाक है|

दोस्त अक्सर पूछते हैं,
के मेरी कंकाली का क्या राज है,
बावड़ी पून्छो, जो तुम खा जाते थे,
वो मेरी दिन-भर की खुराक है,  
ज़िंदगी भी सही मजाक है|

कह-कह के “फेसबुक झकास है, झकास है”,

बच्चे की जान ले ली,
और अगर मैं ट्विट्टर यूज़ करूँ,
तो वो लगता सबको बकवास है,  
ज़िंदगी भी सही मजाक है|

इत्ती मेहनत से ये ब्लॉग बनाया, दर्जनो पोस्ट लिख मारे,
तो लोग कहते हैं, “यार एक बात बताओ, तुम्हारे पास नहीं कोई काम-काज है?”,
सही कहा दोस्तोँ, बेरोजगारी के दिन है,

आजकल तो साली  ज़िंदगी भी लगती मजाक है